उच्चतर माध्यमिक स्तर पर अध्ययनरत विद्यार्थियों की व्यावसायिक षिक्षा के प्रति रूचि का अध्ययन

 

डाॅ. सिद्धेष्वर मिश्रा1, श्रीमती शुभ्रिका तिवारी भार्गव2

1प्राध्यापक, आई.एस.बी.एम. विश्वविद्यालय, गरियाबंद (..)

2शोध छात्रा, आई.एस.बी.एम. विश्वविद्यालय, गरियाबंद (..)

*Corresponding Author E-mail:  

 

ABSTRACT:

आज के उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में व्यावसायिक शिक्षा की नितान्त आवश्यकता है, क्योंकि यही आधार होता है उसके भविष्य का इसके लिये यह शोध कार्य किया गया है, शोधकार्य करने हेतु रायपुर जिले का चयन किया गया जिसके अंतर्गत रायपुर जिले के 10 विद्यालयों का चयन किया जिसमें 5 शासकीय एवं 5 अषासकीय विद्यालयों का चयन किया गया तथा चयनित किये गये प्रत्येक विद्यालयों से 10 छात्र एवं 10 छात्राएं कुल 200 विद्यार्थियों को यादृच्छिक न्यादर्श विधि द्वारा चयन किया गया। परिकल्पना 1 के अनुसार उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में छात्र छात्राओं की व्यवसायिक षिक्षा के प्रति रूचि में कोई सार्थक अन्तर पाया गया। परिकल्पना 2 शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अषासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में व्यवसायिक षिक्षा के प्रति छात्रों की रूचि में कोई सार्थक अन्तर नहीं पाया गया। परिकल्पना 3 के अनुसार शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अषासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में व्यवसायिक षिक्षा के प्रति छात्राओं की रूचि में कोई सार्थक अन्तर नहीं पाया गया। इस प्रकार कहा जा सकता है कि विद्यार्थियों का व्यावसायिक शिक्षा के प्रति रूचि अधिक पाया गया।

 

KEYWORDS: व्यावसायिक शिक्षा, व्यावसायिक रूचि, उच्चतर माध्यमिक स्तर।

 

 


 


प्रस्तावना -

बालक या व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास उसमें विद्यमान ज्ञान षिक्षा की व्यवस्था पर निर्भर करता है। षिक्षा के माध्यम से ही विद्यार्थियों का संपूर्ण व्यक्तित्व मानसिक स्तर बढता है षिक्षा के माध्यम से ही उनमें कुषल जीवन यापन करने की क्षमता का विकास होता है। अतः यह कहना अन्यथा होगा कि षिक्षा के द्वारा ही व्यक्ति समाज समाज से देष का विकास संभव है।

 

षिक्षा के माध्यम से हमें सत्य असत्य, उचित अनुचित जैसे तथ्यों से अवगत कराता है। षिक्षा के द्वारा ही किसी भी देष का विकास संभव होता है इसके लिए वहां की षिक्षा व्यवस्था सुदृढ होनी चाहिए। षिक्षा ग्रहण के साथ ही साथ यदि अनिवार्य विषयों के साथ यदि व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को भी जोडा जाए तो विद्यार्थियों का भविष्य उज्जवल बन सकता है।

अतः शिक्षण कार्य को सूचारू रूप से चलाने एवं बालक के भावी जीवन के विकास के लिए यह आवश्यक है कि शिक्षा को व्यावसायिक षिक्षा से जोडा जाए ताकि व्यावसायिक षिक्षा ग्रहण कर युवा वर्ग भविष्य में लघु कुटीर उद्योग व्यवसाय से अपना कुषल खुषहाल जीवन यापन कर सकते हैं और इसके माध्यम से समाज के साथ देष का विकास भी संभव है। 

 

अतः शोधार्थी को रायपुर जिले के उच्चतर माध्यमिक स्तर पर अध्ययनरत विद्यार्थियों की व्यावसायिक षिक्षा के प्रति रूचि का अध्ययन देखने की आवश्यकता प्रतीत हुई है। प्रस्तुत शोध अध्ययन से प्राप्त निष्कर्ष से स्पष्ट जानकारी प्राप्त हो सकेगी कि विद्यार्थियों के षिक्षा पर व्यावसायिक षिक्षा के प्रति रूचि का क्या प्रभाव पड़ता है? यह जानकारी छात्रों अभिभावकों, शिक्षाविदों, मनोवैज्ञानिकों तथा समाजशास्त्रियों के लिए लाभप्रद सिद्ध होंगे जिससे सहयोगात्मक, सकारात्मक स्वस्थ शिक्षण के लिए मार्ग प्रशस्त होगा तथा व्यावसायिक शिक्षा का विकास किया जा  सकेगा। प्रस्तुत अध्ययन की समस्या का कथन निम्नलिखित है-

 

समस्या का कथन:-

उच्चतर माध्यमिक स्तर पर अध्ययनरत विद्यार्थियों की व्यावसायिक षिक्षा के प्रति रूचि का अध्ययन।

 

अध्ययन का उद्देश्य:-

इस शोध अध्ययन हेतु शोधार्थी ने उद्देश्यों का निर्धारण किया जिससे यह शोध कार्य करने में सफलता प्राप्त हो सके यह उद्देश्य इस प्रकार है -

उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में छात्र छात्राओं की व्यवसायिक षिक्षा के प्रति रूचि का अध्ययन करना।

षासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अषासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में व्यवसायिक षिक्षा के प्रति छात्रों की रूचि का अध्ययन करना।

1. शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अषासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में व्यवसायिक षिक्षा के प्रति छात्राओं की रूचि का अध्ययन करना।

 

अध्ययन की परिकल्पना:-

इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए परिकल्पनाओं का निर्माण किया गया जो इस प्रकार है-

1. उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में छात्र छात्राओं की व्यवसायिक शिक्षा के प्रति रूचि में कोई सार्थक अन्तर नहीं पाया जाएगा।

2. शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अशासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में व्यवसायिक शिक्षा के प्रति छात्रों की रूचि में कोई सार्थक अन्तर नहीं पाया जाएगा।

3. शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अशासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में व्यवसायिक शिक्षा के प्रति छात्राओं की रूचि में कोई सार्थक अन्तर नहीं पाया जाएगा।

 

शोध की परिसीमा:-

शोधार्थी द्वारा उद्देश्य एवं परिकल्पना का निर्धारण करने के पश्चात् परिसीमा का निर्धारण किया गया। शोधकार्य करने हेतु रायपुर जिले का चयन किया गया जिसके अंतर्गत रायपुर जिले के 10 विद्यालयों का चयन किया जिसमें 5 शासकीय एवं 5 अशासकीय विद्यालयों का चयन किया गया तथा चयनित किये गये प्रत्येक विद्यालयों से 10 छात्र एवं 10 छात्राएं कुल 200 विद्यार्थियों का चयन किया गया।

 

संबंधित शोध साहित्य का अध्ययन:-

शोध विषय से संबंधित शोध साहित्य का अध्ययन किया गया। किसी भी शोध प्रक्रिया में संबद्ध साहित्य के सर्वेक्षण का अपना एक विशिष्ट महत्व है जो यह बताता है कि संबंधित विषय में क्या-क्या कार्य किया जा चुका है एवं सम्बन्धित विषय में नए सन्दर्भों के साथ क्या नए शोध किए जा सकते है। व्यावसायिक रूचि से संबंधित भारत तथा विदेश में किये गये शोध का अध्ययन किया गया।

मोहन, स्वदेष गुप्ता, निर्मला (1992)- ने विभिन्न व्यावसायिक पाठ्यक्रमो ंमें विद्यार्थियों के व्यावसायिक भविष्य की सुरक्षा के प्रति विद्यार्थियों की अभिवृत्ति का अध्ययन विषय पर शोध कार्य सम्पन्न कर निष्कर्ष रूप में बताया कि विभिन्न व्यावसायिक प्रशिक्षणों में अध्ययनरत लड़कियों लड़कों में भविष्य के प्रति अभिवृत्ति में अन्तर पाया जाता है। लड़कों की अभिवृत्ति व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के प्रति कम सकारात्मक लड़कियों की अभिवृत्ति अधिक (पूर्ण) सकारात्मक रही। लड़कियों में व्यावसायिक शिक्षा पाठ्यक्रम के प्रति सन्तोषपूर्ण प्रवृत्ति पायी गयी।

 

टेरेसा, बिघम (2010)-ने ‘‘डू टीचर्स हैव नेगेटिव एटीट्यूड टुवड्र्स दइन्क्लूजन आॅफ स्टूडेण्ट्स विद स्पेशियल नीड्स’’ पर अध्ययन कर निष्कर्ष में पायाकि सामान्य शिक्षा से सम्बन्धित अधिकांश शिक्षकों की अभिवृत्ति विशिष्ट आवश्यकताओं वाले विद्यार्थियों के प्रति नकारात्मक पायी गयी। सामान्य शिक्षा से सम्बन्धित अधिकांश शिक्षकों ने विशेष आवश्यकताओं वाले विद्यार्थियों की गरिमा के अनुकूल भाषा का प्रयोग नहीं किया। सामान्य शिक्षा से सम्बन्धित अधिकांश विद्यार्थियों को अपनी कक्षाओं का अंग नहीं माना सामान्य शिक्षा से सम्बन्धित शिक्षक विशेष शिक्षा से सम्बन्धित शिक्षकों की तुलना में संसाधनों एवं आत्म निहित कक्षाओं की वकालत करने हेतु अधिक तैयार थे।

 

उपरोक्त शोधकार्यो अन्य महत्वपूर्ण शोधोत्तर कार्यों के सर्वेक्षण के उपरान्त शोधकर्ती इस निष्कर्ष पर पहुँची है कि उच्चतर माध्यमिक स्तर पर अध्ययनरत विद्यार्थियों की व्यावसायिक शिक्षा के प्रति रूचि का अध्ययन से सम्बन्धित विषय पर शोधकार्यो का नितान्त अभाव है साथ ही इनसे सम्बन्धित जो भी निष्कर्ष प्राप्त हुये है वे अत्यधिक स्पष्ट जानकारी प्रदान नहीं कर रहें है, अतः इस शोध समस्या पर शोध करना आवश्यक है, अतः शोधार्थी ने उच्चतर माध्यमिक स्तर पर अध्ययनरत विद्यार्थियों  की व्यावसायिक शिक्षा के प्रति रूचि का अध्ययन करना सुनिश्चित किया, ताकि शोध के परिणामों तथा निष्कर्ष से शिक्षाविदों, मनोवैज्ञानिकों, समाजशास्त्रियों, प्रशासकों, निर्देशन एवं परामर्शकत्र्ताओं, अभिभावकों इत्यादि को अत्यधिक स्पष्ट जानकारी प्राप्त हो सके जिससे ये सभी विद्यार्थियों के विकास में अपना सहयोग दे सके।

 

चर:-

शोध कार्य के अंतर्गत विभिन्न चर

स्वतंत्र चर -व्यावसायिक शिक्षा

आश्रित चर -विद्यार्थियों की रूचि

 

शोध विधि:-

प्रस्तुत शोध अध्ययन की प्रकृति को ध्यान में रखकर शोधकर्ता द्वारा वर्णनात्मक अनुसंधान की सर्वेक्षण विधि को अपनाया गया है, क्योंकि शोध अध्ययन में आँकडो का संग्रह सर्वेक्षण विधि द्वारा सहजतापूर्वक किया जा सकता है।

 

जनसंख्या:-

प्रस्तुत शोध प्रबंध में जनसंख्या के अंर्तगत रायपुर जिले के 5 शासकीय एवं 5 अशासकीय विद्यालयों कुल 10 उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत समस्त विद्यार्थियों को जनसंख्या के रूप में शामिल किया किया गया है।

 

न्यादर्श:-

प्रस्तुत शोध प्रबंध में जनसंख्या के अंर्तगत रायपुर जिले के 10 उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत 10 छात्र 10 छात्राओं अर्थात् कुल 200 छात्र-छात्राओं का चयन प्रस्तुत शोध प्रबंध में प्रतिदर्श के रूप मंे किया गया है।

 

उपकरण:-

आंकडों के संग्रहण हेतु जिस उपकरण को प्रयुक्त किया गया है वह इस प्रकार हैं-विद्यार्थियों के व्यावसायिक शिक्षा एवं गैर व्यावसायिक शिक्षा के प्रति रूचि ज्ञात करने हेतु स्वनिर्मित साक्षात्कार अनुसूची मापनी का प्रयोग किया गया।

उपकरण से प्राप्त प्राप्तांकों अथवा आँकड़ों को विभिन्न तालिकाओं में व्यवस्थित कर उनका विश्लेषण मध्यमान ;डद्धए मानक विचलन ;ैक्द्धए क्रान्तिक अनुपात ;ब्त्द्ध की गणना कर किया गया तथा दण्डआरेख द्वारा प्रदर्शित कर व्याख्या की गयी।

 

परिकल्पनाओं का प्रमाणीकरण एवं परिणाम:-

निर्धारित उद्देश्यों एवं परिकल्पनाओं के आधार पर विश्लेषण एवं परिणाम प्राप्त किया गया जो क्रमानुसार इस प्रकार है-

उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में छात्र छात्राओं की व्यवसायिक शिक्षा के प्रति रूचि का अध्ययन करना।के अन्तर्गत परिकल्पित परिकल्पना भ्व1 ”उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में छात्र छात्राओं की व्यवसायिक शिक्षा के प्रति रूचि में कोई सार्थक अन्तर नहीं पाया जाएगा।का सत्यापन प्रमाप विचलन एवं ज् मूल्य की मदद से किया गया है, विश्लेषण से प्राप्त परिणाम को तालिका संख्या - 1 में दर्शाया गया हैं-

 

तालिका संख्या - 1 विद्यार्थियों के व्यावसायिक षिक्षा के प्रति रूचि का मध्यमान, प्रमाप विचलन तथा ष्ज्ष् मूल्य सारणी

 

विश्लेषण:-

उपरोक्त तालिका संख्या - 1 में उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के विद्यार्थियों की व्यावसायिक शिक्षा के प्रति छात्रों का रूचि का मध्यमान 21.07 है तथा छात्राओं का रूचि का मध्यमान 22.2 है तथा दोनों के (छात्र छात्राओं) का प्रमाप विचलन क्रमशः 4.70 5.04 है। छात्र छात्राओं का व्यावसायिक शिक्षा के प्रति रूचि का मध्यमान छात्रों से अधिक है, मध्य के इस अंतर की सार्थकता देखने के लिए ज् मूल्य की गणना की गई जो 2.40 प्राप्त हुआ। जो 198 िके लिए टेबल मूल्यांकन से ज्यादा है अतः छात्र छात्राओं के व्यावसायिक रूचि के प्राप्तांकों के मध्यमान में सार्थक अंतर है।

 

 

आरेख संख्या - 1 विद्यार्थियों के व्यावसायिक षिक्षा के प्रति रूचि का मध्यमान, प्रमाप विचलन तथा ष्ज्ष् मूल्य सारणी

 

परिणाम:-

प्रतिपादित परिकल्पना-1 उच्चतर माध्यमिक शाला के छात्र एवं छात्राओं के व्यावसायिक शिक्षा के प्रति रूचि में सार्थक अंतर पाया गया। अतः यह परिकल्पना स्वीकृत होती है।

 

अध्ययन के उद्देश्य संख्या . 2:-

षासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अशासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में व्यवसायिक शिक्षा के प्रति छात्रों की रूचि का अध्ययन करना। के अन्तर्गत परिकल्पित परिकल्पना भ्व2 ”षासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अशासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में व्यवसायिक शिक्षा के प्रति छात्रों की रूचि  में कोई सार्थक अन्तर नहीं पाया जाएगा। का सत्यापन प्रमाप विचलन एवं ज् मूल्य की मदद से किया गया है, विश्लेषण से प्राप्त परिणाम को तालिका संख्या - 2 में दर्शाया गया हैं-

 

तालिका संख्या - 2 शासकीय एवं अषासकीय छात्रों के व्यावसायिक षिक्षा के प्रति रूचि का मध्यमान, प्रमाप विचलन तथा ष्ज्ष् मूल्य सारणी

 

विश्लेषण:-

उपरोक्त तालिका संख्या-2 में उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के शासकीय विद्यालय के छात्रों की व्यावसायिक षिक्षा के प्रति रूचि का मध्यमान 21.54 है तथा अषासकीय विद्यालय के छात्रों की व्यावसायिक षिक्षाके प्रति रूचि का मध्यमान 21.18 है तथा दोनों के (षासकीय छात्र अषासकीय छात्र) का प्रमाप विचलन क्रमषः 15.60 4.24 है। शासकीय छात्र अशासकीय छात्रों की व्यावसायिक षिक्षा के प्रति रूचि का मध्यमान अधिक है। मध्य से इस अंतर की सार्थकता देखने के लिए ज् मूल्य की गणना की गई जो 0.91 प्राप्त हुआ। जो 98 िके लिए टेबल मूल्यांकन से कम है अतः शासकीय छात्र अषासकीय छात्रों के व्यावसायिक षिक्षा के प्रति रूचि के प्राप्तांकों के मध्यमान में सार्थक अंतर नहीं पाया गया। अतः परिकल्पना स्वीकृत होती है।

 

आरेख संख्या - 2 शासकीय एवं अषासकीय छात्रों के व्यावसायिक षिक्षा के प्रति रूचि का मध्यमान, प्रमाप विचलन तथा ष्ज्ष् मूल्य सारणी

 

परिणाम:-

प्रतिपादित परिकल्पना-2 में उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के शासकीय छात्र अषासकीय छात्र के मध्य व्यावसायिक षिक्षा के प्रति रूचि में सार्थक अंतर नहीं पाया गया।

 

अध्ययन के उद्देश्य संख्या .3

षासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अषासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में व्यवसायिक षिक्षा के प्रति छात्राओं की रूचि का अध्ययन करना। के अन्तर्गत परिकल्पित परिकल्पना भ्व3 ”शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अषासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में व्यवसायिक षिक्षा के प्रति छात्राओं की रूचि में कोई सार्थक अन्तर नहीं पाया जाएगा। का सत्यापन प्रमाप विचलन एवं ज् मूल्य की मदद से किया गया है, विश्लेषण से प्राप्त परिणाम को तालिका संख्या -3 में दर्शाया गया हैं-

 

तालिका संख्या - 3 शासकीय एवं अषासकीय छात्राओं के व्यावसायिक षिक्षा के प्रति रूचि का मध्यमान, प्रमाप विचलन तथा ष्ज्ष् मूल्य सारणी

 

विश्लेषण:-

उपरोक्त तालिका संख्या - 3 में उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के शासकीय विद्यालय के छात्राओं की व्यावसायिक षिक्षा के प्रति रूचि का मध्यमान 21.64 है तथा अषासकीय विद्यालय के छात्राओं की व्यावसायिक षिक्षा के प्रति रूचि का मध्यमान 22.74 है तथा दोनों के (षासकीय छात्रा अषासकीय छात्रा) का प्रमाप विचलन क्रमषः 21.64 22.74 है। शासकीय छात्रा अषासकीय छात्रा की व्यावसायिक षिक्षा के प्रति रूचि का मध्यमान अधिक है। मध्य से इस अंतर की सार्थकता देखने के लिए ज् मूल्य की गणना की गई जो 0.61 प्राप्त हुआ। जो 98 िके लिए टेबल मूल्यांकन से कम है अतः शासकीय छात्र अषासकीय छात्रों के व्यावसायिक षिक्षा के प्रति रूचि के प्राप्तांकों के मध्यमान में सार्थक अंतर नहीं पाया गया। अतः परिकल्पना स्वीकृत होती है।

 

आरेख संख्या - 3 शासकीय एवं अषासकीय छात्राओं के व्यावसायिक षिक्षा के प्रति रूचि का मध्यमान, प्रमाप विचलन तथा ष्ज्ष् मूल्य सारणी

 

परिणाम:-

प्रतिपादित परिकल्पना-3 में उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के शासकीय छात्रा अषासकीय छात्राओं के मध्य व्यावसायिक षिक्षा के प्रति रूचि में सार्थक अंतर नहीं पाया गया।

 

अभिभावकों के लिये सुझाव:-

1. अभिभावकों को बच्चों के लिये व्यावसायिक शिक्षा के प्रति रूचि की भूमिका को समझ उनके अनुरूप शैक्षिक वातावरण बनाना चाहिये।

2. अभिभावकों को व्यावसायिक शिक्षा के प्रति रूचि को अधिक सौहाद्र्रपूर्ण गुणवत्ता पूर्ण बनाये रखना चाहियें।

3. अभिभावकों को बालक के साथ सकारात्मक व्यवहार करना चाहिये तथा उनके सकारात्मक नकारात्मक पहलुओं पर चर्चा कर उनकों प्रोत्साहित करते रहना चाहिये।

4. अभिभावकों को विद्यार्थियों के साथ अच्छेे अंर्तवैयक्तिक सम्बन्ध स्थापित करना चाहिये।

5. अभिभावकों को विद्यार्थियों को रोजगारपरक विषय पढ़ने के लिये प्रेरित करना चाहियें ताकि वे आत्मनिर्भर बनें।

 

विद्यार्थियों के लिये सुझावः-

1. विद्यार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा का अधिक से अधिक लाभ उठाना चाहिए।

2. विद्यार्थियों को अभिभावकों के साथ व्यावसायिक शिक्षा के प्रति रूचि जागृत करना चाहिये।

3. विद्यार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा के प्रति रूचि जागृतकर उसका सुदृढ़ विकास करने में सहयोग प्रदान करना चाहिये। 

4. विद्यार्थियों को अपनी रूचियों क्षमतानुरूप विषयों का चुनाव करना चाहिये।

 

षिक्षकों के लिये सुझावः-

1. षिक्षक को विद्यार्थियों से सही तालमेल बनाकर उनका ध्यान लक्ष्य सही दिषा में प्रषस्त करें।

2. षिक्षक विद्यार्थियों को उनके भविष्य के प्रति सही जानकारी दें, उन्हें व्यावसायिक पाठ्यक्रम की सही सामग्री उपलब्ध करायें।

3. षिक्षक समय-समय पर शालाओं में विभिन्न व्यावसायिक प्रतियोगिताओं में अधिक भाग लेने हेतु विद्यार्थी को प्रेरित करें।

4. षिक्षक ऐसी पत्रिकायें जो रोजगार स्थापित करने की विधि एवं संभावनाएं बढायें उन्हें उपलब्ध करावें।

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Received on 16.03.2021          Modified on 19.05.2021

Accepted on 13.07.2021 © A&V Publication all right reserved

Int. J. Ad. Social Sciences. 2021; 9(2): 93-99.

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